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अनवेष द्वारा अनुसंधान

झुठ और सच

तुम झूठे हो, तुम झूठ बोल रहे हो। एक दूसरे को झूठा ठहराने के चक्कर में कहीं सत्य आप से छूट तो नहीं रहा है ? एक बेरोजगार इंजीनियर एक पैन बनाने वाली कम्पनी के मैनेजर के पास सेल्समैन की नौकरी मांगने आया। मैनेजर ने बेरोजगार इंजीनियर से पूछा, क्या आप एक अनपढ़ व्यक्ति को हमारी कम्पनी का पैन बेच सकते हैं ? इस नौजवान ने कहा सर आप एक अनपढ़ व्यक्ति बन जाए, मैं आपको यह पैन बेच दुंगा। मैनेजर ने कहा चलो बन गया। नौजवान ने अनपढ़ बनें मैनेजर से कहा, सर यह पैन आप अपने लिए न सहीं कम से कम अपने बच्चे के लिए तो खरीद सकते हैं। मैनेजर ने कहा नहीं मुझे नहीं खरीदना है। कोई बात नहीं सर, वैसे इस पैन की खासियत यह है कि 6 साल से इसकी स्याही खत्म नहीं हो रही है। मैनेजर ने पूछा कैसे ? इस नौजवान ने कहा पहले आप यह 10 रुपये का पैन खरीद लीजिए फिर यह रहस्य बताता हूँ। मैनेजर ने 10 रुपये देकर पैन खरीद लिया। अब बताए! नौजवान ने कहा मैं अनपढ़ व्यक्ति हूँ कभी इससे लिखा ही नहीं इसलिए ! मैनेजर कहा आपने झूठ बोलकर यह पैन बेचा हैं इसलिए आप इस नौकरी के योग्य नहीं हो। परन्तु सर एक सेल्समैन की सबसे बड़ी योग्यता तो यही है कि वह एक अनपढ़ व्यक्ति को भी पैन बेच दे। मैने आप अनपढ़ व्यक्ति को पैन बेचा है, इसलिए यह नौकरी मुझे मिलनी चाहिए। मैनेजर ने कहा आपने झूठ बोला है। नौजवान ने कहा कि झूठ तो आपने भी बोला हैं। एक मैनेजर होते हुए भी अनपढ़ व्यक्ति बन गए। कहानी कैसी लगी ? अच्छी या बुरी और कहानी क्यों अच्छी लगी आओं जांचें। कहानी इसलिए अच्छी लगी की अनपढ़ सेल्समैन ने अनपढ़ व्यक्ति को पैन बेच दिया। परन्तु तूने झूठ बोला, नहीं तू झूठ बोल रहा है के चक्र में वे दोनों सत्य से कहीं दूर चले गए। क्या पैन बनाने वाली कम्पनी का मैनेजर नहीं जानता था कि इस पैन की स्याही कितनी चलती है ? क्या सेल्समैन एक बेरोजगार इंजीनियर नहीं है ? आजतक तथाकथित अध्यात्म जगत में यही होता आया है । उनके द्वारा कही गई कहानी तो अच्छी लगती है किन्तु सत्य से उनका कोई लेना - देना नहीं है। सबके सब एक - दूसरे को झूठा साबित करने में उलझे हुए हैं। हमें सत्य को ठीक से जानना है तो हर एक बात के हर पहलू की जांच पड़ताल हमें ही ठीक से करनी होगी। जापान में एक रात एक घर में चोर घुसा। घरवाले सब सो रहे थे। चोर दबे पाँव घर का कीमती सामान समेट रहा था। इस बीच रेडियो पर जापान का नेशनल एंथम बजा और चोर सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया। घर मालिक की नींद खुल गई और चोर को दबोच लिया। बचपन में यह कहानी जापानियों की देशभक्ति के उदाहरण के तौर पर सुनी थी। शायद आपमें से कई लोगों ने यह कहानी सुनी होगी। कहानी सुनते ही पहली प्रतिक्रिया थी वॉव... कुछ सोचने के बाद जब वॉव से बाहर निकला तो जितनी स्टुपिड कहानी थी, उतने ही स्टुपिड सवाल उभरे थे। पहला सवाल उठा, आधी रात को जब सब सो रहे हैं तो रेडियो क्यों चल रहा था ? फिर खुद ही खुद को इस प्रश्न का जवाब दे दिया कि जिस तरह मेरे ताऊ या भाई के साथ होता है कि रेडियो चल रहा है और नींद लग जाती है तो रेडियो सुबह तक चलता ही रहेगा, इसमें ऐसा कुछ नया नहीं है। दूसरा सवाल उठा था, आधी रात को जब सारे लोग सो रहे हों तो दुनिया के किस देश में नेशनल एंथम रेडियो पर बजाया जाता है ? तीसरा सवाल, चोर तो नेशनल एंथम सुनकर सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया और घर के मालिक ने उसे पकड़ लिया। तो घर मालिक देशभक्त कैसे हुआ ? यह तो उस कच्ची उम्र में उठे सवाल थे ? जब नैतिक शिक्षा के नाम पर कच्ची उम्र में इस तरह की कचरा चीजें सुनाई जाती रहेंगी, तो हम सत्य तक कैसे पहुंचेंगे ? आज उस कहानी को याद करता हूँ तो समझ पाता हूँ कि इस किस्म की ऊलजुलूल कहानी का विचार कहाँ से आया होगा औऱ उस कहानी का लक्ष्य क्या रहा होगा ? नरेटीव पहचाने और चालाक लोगों की बातों के छुपे मंतव्य को भी जाने। सही समय पर जांचा परखा ही एक सही निर्णय व्यक्ति को सफलता के शिखर पर पहुंचाता है।