शब्दजाल महाजंजाल है और सब गोलमाल है। हमें दो प्रकार से सिखाया पढ़ाया जाता है। एक: पहले (सतयुग) बहुत अच्छा था। आज का समय खराब (कलियुग) है। दूसरा: आदमी असभ्य पाषाण युग में रहता था। धीरे धीरे वह सभ्य बना और सुखी होता गया। अब सच क्या है, हम सच को कैसे जानें ? वैज्ञानिक कहते हैं, ऊर्जा का घनत्व पदार्थ है। ऋषि -मुनि कहते हैं, वह ऊर्जावान एक से अनेक होकर विखंडित होगया। घनत्व सच कि विखंडन सच ? सच क्या है, अब हम सच को कैसे जानें ? वैज्ञानिक यह भी कहते हैं ब्रह्माण्ड का विस्तार निरंतर हो रहा है। विरोधाभास....
सबसे पहले अपना मूल्य समझें। उपयोगिता और उपलब्धता चीज़ों का मूल्य तय करती हैं। चीज़ें मूल्यवान हैं। चीज़ों से अधिक जीवन मूल्यवान है। जीवन से अधिक आप मूल्यवान हैं। आप से अधिक ब्रह्माण्ड मूल्यवान है। ब्रह्माण्ड से अधिक रचयिता की मंशा मूल्यवान है। तब इन सब का और हमारा रचयिता कितना सामर्थी एवं मूल्यवान होगा ? हम बात - बात में कह देते हैं कि हमें आपकी औकात का पता है। दूसरे के विषय में सब-कुछ जान लेने का दावा करने वालों को अपने बारे में कुछ भी पता नहीं है। आप स्वयं जांच लें। क्या आप अपना मूल्य जानते ....
तुम झूठे हो, तुम झूठ बोल रहे हो। एक दूसरे को झूठा ठहराने के चक्कर में कहीं सत्य आप से छूट तो नहीं रहा है ? एक बेरोजगार इंजीनियर एक पैन बनाने वाली कम्पनी के मैनेजर के पास सेल्समैन की नौकरी मांगने आया। मैनेजर ने बेरोजगार इंजीनियर से पूछा, क्या आप एक अनपढ़ व्यक्ति को हमारी कम्पनी का पैन बेच सकते हैं ? इस नौजवान ने कहा सर आप एक अनपढ़ व्यक्ति बन जाए, मैं आपको यह पैन बेच दुंगा। मैनेजर ने कहा चलो बन गया। नौजवान ने अनपढ़ बनें मैनेजर से कहा, सर यह पैन आप अपने लिए न सहीं कम से कम अपने बच्चे के लिए तो ....
वक्त पर सवाल करना आ जाए यह अच्छी बात है और उनके सही उत्तर समय पर मिल जाए तो सोने पे सुहागा है। वरना मायने खो देते हैं, वे जवाब जो वक्त पर नहीं मिलते हैं। सरल, सटीक और सही जवाब के लिए साथ आएं। अर्जुन ने जब तक गीता नहीं सुनी तब तक व्याकुल रहा। गीता सुनते ही फूँक देवदत्त, विजय पताका को लहरा दिया। शास्त्र ठीक से सुने बिना शस्त्र कैसे उठाएंगे ? अपने कुरुक्षेत्र (जीवन) के मैदान में... हमें आजीविका का प्रबन्ध, अवस्था की स्थिरता, व्यवहारिक जीवन की आवश्यकताओं की अविरल पूर्ति और सुन्दर भविष....
बाजार में हर वस्तु की कीमत है। संसार में बहुत सी अनमोल जीवित संपदाएं हैं। इन सबके मध्य आपका अपना क्या मूल्य है ? किस चीज़ के बदले में आप अपने आपको बेच रहे हैं ? क्या आप उचित व्यापार कर पा रहे हैं ? मैं कोशिश करता हूं कि आपको कम से कम अपना मूल्यांकन करना तो आ जाएं। "जानें अपना मूल्य और जीवन का सोदा" पृथ्वी पर के जीवन के बदले में आप क्या ले रहे हैं ? अपना और जीवन तथा संसार का मूल्य अलग - अलग समझें।....
"अनवेष द्वारा अनुसंधान" कार्यक्रम में आपका स्वागत है। जिनके सर झुकते हैं, पुस्तकों के सामने। दुनिया झुकती है, केवल उन्हीं के सामने। अध्ययन से ही हम विषयों के मर्म को जान पाते हैं। अध्धयन से ही हमें ज्ञान और समझ मिलती है। अध्ययन से हमारा व्यक्तिगत विकास होता है। अध्ययन से हमारी तर्कशक्ति और समस्याओं का समाधान करने की क्षमता में सुधार होता है। अध्ययन से हमें अपने करियर में उन्नति के अवसर मिलते हैं। अध्ययन से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।जिससे हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक आत्मविश्वास....
ज़िंदगी एक किताब की तरह है — हर दिन एक नया पन्ना, हर अनुभव एक नई कहानी, और हर मोड़ एक नया सबक। 💭 कुछ प्रेरणादायक बातें ज़िंदगी पर: ज़िंदगी आसान नहीं होती, लेकिन हर मुश्किल हमें मजबूत बनाती है। खुश रहना एक कला है, जो हालातों से नहीं, सोच से आती है। ज़िंदगी में अगर कुछ खो जाए, तो दुखी मत हो — शायद वो चीज़ तुम्हारे रास्ते से हटाई गई हो ताकि कुछ बेहतर आ सके। हर सुबह एक नया मौका है, खुद को बेहतर बनाने का। ज़िंदगी छोटी है, इसलिए मुस्कुराओ, माफ करो, और वो करो जो तुम्हें सच्ची खुशी दे। 🌟 एक छोटी सी....